Lalita Tripathi
मलंग काशी की मिठास

बनारस.. जिसके बारे में जितना कहें कम है। एक शहर जितना खूबसूरत है, इसका इतिहास और इसकी परम्परा भी उतनी ही अनूठी है। काशी की हर वो चीज़ आपको अपने से दूर नहीं होने देगी अगर आप एक बार उसके करीब गए हों। बिंदास और अपनी धुन में जीने वाला शहर बनारस, गलियों से निकलकर कब आपके दिल तक पहुंच जाता है पता भी नहीं चलता है। अगर हम जायकों की बात करें, तो यकीनन बनारस को घाटों, मंदिरों, गलियों का शहर कहने के अलावा इसे को जायकों का शहर भी कहें तो गलत नहीं होगा। इन्ही जायकों में है बनारस की मिठाइयां। यानी की बनारस की मिठास, कहते हैं काशी की मिठाई नहीं खाई तो क्या खाया सचमुच ये कहावत सौ फीसदी खरी है। तो आइए बनारस के उन शानदार मिठाइयों पर नज़र डालते हैं जो सदियों से काशी नगरी की आन-बान और शान रही हैं।
काशी की तरह ही यहाँ की मिठाइयों का इतिहास भी सैकड़ों साल पुराना है और यही वजह है कि काशी की मिठाइयां अपने खास स्वाद की वजह से अलग पहचान रखती हैं। बनारस के मिठाई बाजार में बिकने वाली तिरंगी बर्फी या तिरंगा बर्फी जो एक बेहतरीन स्वाद तो है ही, वहीं ये मिठाई अपने आप में एक अनूठा इतिहास समेटे हुई है| तिरंगा बर्फी का स्वाद तो हम सब हो पता ही है, हो भी क्यूँ ना, बचपन में स्कूल में हर स्वतंत्रता दिवस या गणतन्त्र दिवस के अवसर पर बच्चो में बाटी जाती थी| अगर हम इसके इतिहास के बारे में बात करे तो तिरंगा बर्फी भी हमारे स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बनी, अब आप सोच रहे होंगे भाई ये छोटी सी बर्फी कैसे इस क्रांति का हिस्सा बनी, तो चलिए हम बताते है कैसे, इस बर्फी का अविष्कार पुराने बनारस के ठठेरी बाज़ार में स्थित, एक छोटी सी मिठाई की दुकान राम भंडार के मालिक श्री रघुनाथ दास गुप्ता ने 1945 के आस पास किया था| और ये उस दौर में इतनी प्रसिद्ध हो गई की बनारस क्या पूरे भारत में इसको बनाया जाने लगा और ये अंग्रेजो के ख़िलाफ़ खाद्य क्रांति की एक निशानी बन गयी| इसीलिए तिरंगा बर्फी को राष्ट्रीय बर्फी भी कहा जाने लगा| 15 अगस्त 1947 में जब भारत आज़ाद हुआ, उस समय पूरे शहर में ये बर्फी बाटी गई थी| इसके अलावा श्री रघुनाथ दास गुप्ता जी ने उस दौर में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर अन्य मिठाईया भी बनायी जैसे गांधी गौरव, मदन मोहन, जवाहर लड्डू और मोती पाक इत्यादि|

बनारस की बात हो और लौंगलता का ज़िक्र ना हो ऐसा हो सकता है, लौंगलता वैसे तो बंगाली मिठाई है लेकिन बनारस की गलियों में इसका स्वाद चखने को जरूर मिलता है। ये बनारस की ऐसी मिठाई है, जिसका स्वाद हर बनारसी जानता है और ये बनारस की लगभग हर मिठाई की दुकान पर उपलब्ध है। मैदे को गूंथकर उसे रोटी की तरह बेल लेते हैं। फिर इसमें खोया और लौंग डालकर फोल्ड करके घी में डीप फ्राई करते हैं। एक बार जो लौंगलता खा लेता है, वो इसका दीवाना हो जाता है|

लौंगलता के अलावा एक और लाजवाब मिठाई जो खासतौर पर सर्दियों में ही मिलती है, इसे मलइयो कहते है। मलइयो सिर्फ सर्दियों में ही मिलती है क्योंकि इसको बनाने के लिए दूध को चीनी में उबालकर रातभर खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। यह दूध के झाग से बनता है। जहाँ बाकी की बनारसी मिठाइयां समय के साथ-साथ भारत में दूसरी जगह भी बनने लगी हैं, वहीं बनारसी मलइयो एक मात्र ऐसी मिठाई है जिस पर आज भी काशी या बनारस का एकाधिकार है।

काशी के मिठास की चर्चा हो और बनारस की ठंडाई की बात ना हो तो मिठास कुछ अधूरी सी रहेगी| ठंडई काशी नगरी का पसंदीदा पेय है, जिसका स्वाद सदियों से बनारस की तंग गलियों में बसी छोटी बड़ी मिठाई की दुकानों ने संजोकर रखा है| हालाकि, समय के साथ ठंडाई के बहुत से किस्में बाज़ार में उपलब्ध है, परन्तु यकीन मानिए ओरिजिनल टेस्ट वाली ठंडाई का स्वाद आपके ज़ुबा में बस जायेगा| ठंढई में ढेर सारा दूध, सौफ, काजू, बादाम, काली मिर्च, इलाइची, गुलाब जल के अलावा दर्जनों मसालों के साथ फल-फूलों के अर्क का प्रयोग किया जाता है| ठंडाई की एक और ख़ास बात है की ये हर मौसम के मुताबिक तैयार की जाती है, और यही वजह है की काशी में ठंडई हर मौसम में मिलती है| वैसे तो ठंडाई आपको वाराणसी में बहुत सी जगहों पर मिलेगी परन्तु बांस फाटककी सकरी गलियों में स्थित बाबा ठंडाई के अलावा आपको बहुत सी दुकाने मिल जायेंगी जहां आप ठंडाई के मूल स्वाद को चख सकते हैं|

ठंडाई के अलावा कुल्हड़ की सोंधी खुशबु समेटे बनारसी लस्सी की भी एक अलग पहचान है| आपको लस्सी की दुकान काशी के सकरी गलियों से लेकर हर चौक, चौराहो पर मिल जाएगी, परन्तु बनारस के लंका में स्थित पहलवान लस्सी का स्वाद आप कभी भूल नहीं पाएंगे| इसके अलावा वाराणसी के चौड़ी गली में स्थित ‘ब्लू लस्सी शॉप’ तो देश विदेश तक प्रसिद्ध है| ब्लू लस्सी शॉप में पारंपरिक लस्सी के अलावा केला, अनार, सेब, रबड़ी, आम, चाकलेट, मिक्स फ्रूट सहित 120 तरह के ज़ायकों में उपलब्ध है| रामनगर स्थित शिव लस्सी भंडार की लस्सी भी काफी प्रसिद्ध है|

काशी की मिठाईयों में हम जलेबीको हम कैसे भूल सकते है, सुबह का नाश्ता बिना जलेबी अधूरा ही रहता है, जब तक कचौड़ी - सब्जी के साथ जलेबी की मिठास न हो| भले ये जलेबी आपको किसी भी शहर में मिल जाए लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं बनारस की जलेबी के स्वाद के क्या कहने| इसके अलावा यहां गरमा - गरम गुलाब जामुन खाने की भी होड़ रहती है। खाना खाने के बाद गरमागरम गुलाबजामुन यहां बड़े ही चाव से खाया जाता है।

इन मिठाइयों के अलावा राम स्वीट्स की मलाई गिलोरी, कचौड़ी गली वाराणसी में स्थित राजबंधु की परवल की मिठाई, क्षीर सागर में मिलने वाली छेने की मिठाइयों का स्वाद आप कभी भूल नहीं पाएंगे| वाराणसी और भी कई प्रसिद्ध मिठाई की दुकाने हैं जैसे बाबा बंगाली स्वीट्स, बंगाल स्वीट, मधुर मिलन इत्यादि| इसके अलावा यहां लालपेड़ा, राजभोग, संतरे की मिठाई और न जाने कितनी मिठाईयां है, जो यकीनन बनारस की मिठास को सभी के दिलों में उतारती है। वाराणसी की यात्रा जब भी करें, शहर की सुंदरता के साथ ज़ायकों में यहाँ की मिठास लुफ़्त ज़रूर उठायें|