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  • लेखक की तस्वीरLalita Tripathi

स्वस्थ जीवन का आधार आयुर्वेदिक आहार

स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ आहार ही वो प्रणाली है जो हमारे जीवन को सुचारु रुप से चलाती है। सही आहार का चयन आपको हमेशा स्वस्थ रखता है। खासतौर पर जब ये चयन हम आर्युवेदिक आहार के अनुसार करें। कई

ऐसे आहार है या फिर यूं कहें आहार के कॉम्बिनेशंस हैं जो आयुर्वेद के लिहाज से सही नहीं होते। तो चलिए आपको बताते हैं आहार के लिए क्या कहता है हमारा आर्युवेद:



आयुर्वेद और आहार

आयुर्वेद के अनुसार एक सही आहार है वात, पित्त और कफ रहित भोजन। यानि कई प्रकार के भोजन का ऐसा सही संतुलन, जिसे खाने के बाद शरीर में ना गैस हो ना एसिडिटी और ना ही कफ बने। आयुर्वेद में खान-पान को लेकर बहुत सी बातें कही गयी है जिनका बड़े ही इमानदारी से पालन करने से आप हमेशा स्वस्थ और निरोग रहेंगे।

  • स्टीम सब्जिया खाएं क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार अगर हम सब्जियों को ज्यादा पकाएंगे तो पोषक तत्व नष्ट हो जाएंगे तो वही पर अगर उन्हें कच्चा खाते हैं तो ये स्वस्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है, इसलिए ना ज्यादा पकाएं ना कच्चा रखें। सब्जी हमेशा मौसमी ही खानी चाहिए क्योंकि सब्जियों की पोषकता पर ऋतु का प्रभाव पड़ता है।

  • फल खाना आयुर्वेद में काफी लाभकारी माना गया है, लेकिन हम जिस प्रकार से फलों का सेवन करते हैं उससे हमें ज्यादा फायदा नहीं मिलता। सबसे पहले हमे ये ध्यान रखना चाहिए की एक बार में एक ही प्रकार फल खाना चाहिए। फलों की चाट बना कर खाना आयुर्वेद में निषेध माना गया है।

  • हमेशा स्थानीय और मौसमी फल ही खाने चाहिए। ऐसा माना जाता है की फल और सब्जियों की पैदावार स्थान के तासीर के हिसाब से होती है और वहां जिन तत्वों की कमी होती है, प्राकृतिक रूप से उन तत्वों से युक्त फल उस स्थान पर होते है, इसलिए स्थानीय और मौसमी फल अधिक लाभकारी माने जाते हैं।

  • खड़े मसालों को सेवन करें। उसे भूनकर पीस लें और घर के शुद्ध मसाले इस्तेमाल करें जो कि बेहद स्वास्थ्यवर्धक होते हैं।

  • चोकर वाले आटे का इस्तेमाल जरुर करें। गेहूं के आटे को बिल्कुल भी छानकर इस्तेमाल ना करें क्योंकि चोकर में बहुत फाइबर होता है और आयुर्वेद के अनुसार चोकरयुक्त आटा शरीर के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। चोकरयुक्त आटे का सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है, आंतों के साफ रहने से गैस बनाने और पेट फूलने की समस्या भी नहीं रहती और शरीर में उर्जा बनी रहती है|

  • ताज़ा खानापान आयुर्वेदिक आहार प्रणाली की सबसे अहम कड़ी है। और साथ ही साथ भूख से कम खाए इससे खाना असानी से पचता है। इसी प्रकार ये ध्यान रखे की भोजन भूख लगने पर और निश्चित समय पर ही करें, दिन भर थोड़ा-थोड़ा न खाएं। खाना पचे बिना फिर खाना सभी प्रकार के रोगों का कारण है, इसलिए हमेशा पहले खाया हुआ खाना पूरा पचने के बाद ही दोबारा भोजन करें। फ़िर भी इच्छा होने पर बीच में फल और उनका रस लिया जा सकता है।

  • सुबह खाली पेट चाय नहीं लेनी चाहिए, क्योकि चाय पित्तवर्धक होती है। ग्रीन टी या गरम पानी लिया जा सकता है। जिन्हें सुबह चाय पीने की आदत है, वे चाय से पहले गुनगुना पानी पी लिया करें। चाय बनाते हुए उसमें चाय की पत्ती के साथ सौंफ डाल दें, इससे उससे पित्त बढ़ने की समस्या कम होगी।

  • चीनी और सफेद नमक का त्याग करें। आयुर्वेद आहार हो या कोई भी आहार चीनी हर आहार के लिए हितकारी नहीं। सफेद चीनी और सफेद नमक स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होते हैं पर फिर भी हम इसका सेवन करते हैं लेकिन सच पूछिए तो नहीं करना चाहिए बिल्कुल। फिर भी आपको अगर मीठा खाने का मन हो तो आप प्राकृतिक मीठा चुन सकते हैं जैसे शहद, खजूर,गुड़, किशमिश, मुनक्का इत्यादि। सफेद नमक की जगह सेंधा नमक या काला नमक खाएं।

  • रात से लेकर सुबह काफ़ी लम्बा उपवास हो जाता है, इसलिए जठराग्नि काफी प्रबल हो जाती है, इसीलिए सुबह का नाश्ता बहुत ज़रूरी होता है| प्रातःकाल का नाश्ता हमेशा भारी और पर्याप्त पौष्टिक तत्वों से युक्त होना चाहिए|

  • दोपहर का भोजन सुबह के नाश्ते की तुलना में हल्का होना चाहिए।

  • रात का भोजन सबसे हल्का होना चाहिए। आयुर्वेद में माना गया है की सूर्यास्त के साथ हमारे शरीर की चयापचय या मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया भी शांत होने लगती है और हमारी जठराग्नि कमजोर होने लगती है। इसलिए आयुर्वेद में रात में बहुत ही हल्का भोजन करने की सलाह डी गई है| रात खाना या डिनर सोने से कम से कम तीन घंटे पहले कर लिया जाना चाहिए।

  • रात को सोते समय दूध ले सकते हैं परंतु भोजन और दूध लेने में तीन घंटे का अंतराल अवश्य होना चाहिए। तीन घंटे में भोजन का पाचन हो जाता है और दूध का पाचन सरल हो जाता है और नींद भी अच्छी आती है।

इतना ही नहीं आयुर्वेद में ऐसा भी माना जाता है हर खाद्य पदार्थ का अपना रस यानि स्वाद, तासीर और पचने के बाद अपना अलग प्रभाव होता है। और जब दो अलग गुण-दोष वाले खाद्य पधार्थ एक साथ खाए जाते हैं, तो शरीर पर उनका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिसकी वजह से शरीर में टॉक्सिंस और एलर्जी की परेशानी हो जाती है। खाद्य पधार्थ के इन गलत कॉम्बिनेशन को गुण धर्म विरोधी आहार का नाम दिया गया है। इस तरह का गलत कॉम्बिनेशन को फॉलो करने से चयापचय, सर्कुलेशन, पाचन, त्वचा रोग, एंडोक्राइन और नर्वस सिस्टम संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है, जैसे जठरांत्र विकार, त्वचा रोग, एलर्जी, मेटॉबॉलिक डिसऑर्डर जैसी और भी तमाम तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। चलिए अब आपको बताते हैं आय़ुर्वेद के अनुसार ग़लत कॉम्बिनेशन वाले आहार कौन से हैं |



आयुर्वेद के हिसाब से गलत फूड कॉम्बिनेशन और उनका प्रभाव

  • कसैले या खट्टे स्वाद वाले फल और सब्जियों के ठीक बाद दूध नहीं पीना चाहिए। जैसे मूली, टमाटर, नींबू वगैरह के बाद तुरंत दूध ना पिएं।

  • नॉनवेज यानी किसी भी तरीके के मांस मछली या अंडा खाने के बाद दूध ना लें।

  • आयुर्वेद में रात के वक्त दही की मनाही होती है। रात के वक़्त दही नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है और यह शरीर में जाकर कफ बनाता है।

  • बहुत ज्यादा ठंडी दही के साथ गर्मा गरम पराठे नही खाने चाहिए। ये स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं जबकि ज्यादातर लोग ऐसा अक्सर करते हैं।

  • दूध के साथ कोई भी ऐसी चीज न खाएं जिसमें नमक मिला हो।

  • रात में हल्का भोजन हो। नही तो एसिडिटी आने की समस्या हो जाती है। इसकी वजह से पाचन तंत्र के गड़बड़ होने की भी शिकायत सामने आती है। आयुर्वेद के अनुसार रात में हमें सिर्फ लो कार्बोहाईड्रेट वाला खाना ही खाना चाहिए।

  • आयुर्वेद में आह़ार में अग्निसंरक्षण पर विशेष ज़ोर दिया गया है, जो की अपचय क्रिया में सहायक होता है और इससे व्यक्ति निरोगी रहता है। इसीलिए आयुर्वेद में फलों को दूध में मिलाना निषेध माना गया है क्योकि इससे अग्नि मंद होती है। इसी प्रकार अधिक ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए|

आयुर्वेद में आने वाले शरद ऋतु में यानी की सिंतबर से मध्य नवंबर तक आप ये खाद्य पदार्थ ले सकते हैं। इस मौसम में ध्यान रहे हल्का खाना खाएं। जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा हो। ज्यादा तला भुना, मीठा वगैरह ना खाएं। ऐसा कोई खाना ना खाएं जिससे शरीर में पित्त बने। इसलिए लिए नीम, करेला सहजन, लौकी जैसी चीज़ों का सेवन करें। इस दौरान तुरई लौकी चौलाई साग का सेवन फायदमंदर रहता है है। दाल का भरपूर मात्रा में सेवन करें जिसमें मूंग दाल जरुर शामिल हो। इसके अलावा, आंवला, नींबू, खजूर, परवल, पपीता वगैर का सेवन स्वास्थवर्थक रहेगा।

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