Lalita Tripathi
मुथप्पनन मंदिर - एक अनोखी परंपरा
ज़ायाकनमा फ़ूड ब्लॉग में हम पलटेंगे इतिहास के अनमोल पन्नो को और जानेगे मुथप्पनन मंदिर के भोग या प्रसाद के बारे में। केरल में कन्नूर जिले में तालीपरम्बा से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर की ओर पहाड़ी की तलहटी में एक गाँव है परस्सनिकडवु, यही वालपट्नम नामक नदी के किनारे पर एक विशाल मंदिर स्थित है जिसे श्री मुथप्पन मंदिर के नाम से जाना जाता है|

Pic Courtesy : Wikipedia
इस मंदिर के प्रमुख देवता है श्री मुथप्पन हैं, इन्हें तिरुवप्पन और वेल्लत्तम के पात्रों के रूप में दो अलग-अलग पात्रों से अभिव्यक्त किया जाता है। स्थानीय मान्यताओ के अनुसार श्री मुथप्पन यहाँ के लोकदेवता हैं, ये वेदिक देवता नहीं माने जाते लेकिन कुछ मान्यताओ के अनुसार इन्हें विष्णु अथवा शिव का अवतार भी माना जाता है| श्री मुथप्पन देव का वाहन स्वान या कुत्ता है, यही कारण है की यहाँ कुत्तो को बहुत पवित्र माना जाता है।
मुथप्पन मंदिर अपने थीयम के लिए प्रख्यात है। थीयम, कथकली से मिलता जुलता एक लोक नृत्य है। इसके कलाकार विभिन्न पौराणिक पात्रों की कथाओं को प्रस्तुत करते हैं।
यदि हम बात करे यहां के प्रासद या भोग की मान्यताओं के बारे में तो ये भारत के अन्य हिंदू मंदिरों से काफ़ी अलग है। यहां पर प्रसाद के रुप में मिलती है चाय जी हां भले सुनने में अटपटा लगे ये बात पर ये एक ऐसा मंदिर है जहां प्रसाद के रूप में चाय मिलती है और ये प्रसाद रूपी चाय लोंगो की मनोकामना पूरी करती है।
चाय के अलावा और भी यहां पर एक और बेहद स्वादिष्ट प्रसादम वितरित किया जाता है और वो है उबले हुए काली बींस। जी हां यहाँ प्रसादम के रूप में भक्तो को उबले हुए उबले हुए काली बींस के साथ चाय दिया जाता है।

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इसके अलावा मुथप्पन देवता को पारंपरिक रूप से मछली और देशी शराब (ताड़ी मदिरा) भी अर्पित की जाती है और इसे भक्तो में बांटा भी जाता है|
माना जाता है कि श्री मुथप्पन इन्होंने हमेशा कमजोरों के हितों की रक्षा की, और यही कारण है की यहाँ आने वाले श्रद्धालुओ को निशुल्क आवास और भोजन की व्यवस्था रहती है| साधारणतया केरल के बहुत से हिंदू मंदिरों में गैर हिन्दुओं का प्रवेश प्रतिबंधित रहता है लेकिन मुथप्पन के मन्दिर में ऐसा नहीं है| वसुदेव कुटुम्बकम को चरितार्थ करता हुआ ये मंदिर अपनेआप में एक अलग पहचान लिए है|